Sunday 30 July 2017

बहस ही तो है।

बहस भी क्या चीज है? हम बहस करते है और मजा लेते है। कभी कभी हम बहस तो कर जाते है, लेकिन अपना मूड बिगाड़ बैठते है और मूड है की फिर लाइन पर नहीं आता । हम किसी के साथ होंगे या काम करेंगे तो बहस होगी ही। लेकिन वह हम पर इतनी हावी नहीं हो जानी चाहिए की हमारा पूरा दिन ही बर्बाद जाये। हम बातचीत करते है। कभी कभी बहस में बदल जाती है हम अपनी बात कहते है वह किसी को आहत कर जाती है।फिर कभी उसके उलट हम आहत हो जाते है । हम जब किसी बहस में आहत होते है।हमारा सारा मूड चौपट हो जाता हैं। फिर तो हमारा किसी काम में मन नहीं लगता। हम कोई काम आगे बढ़ा नहीं पाते । उस वक़्त हमे ठीक से सोचने की जरुरत होती है। आखिर एक ही ख्याल के साथ हम बहुत देर तक चिपके भी नहीं 

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