व्यक्ति की सुंदरता तो उसके गुणो से प्रतीत होती है। यही कारण है की जब देवी देवता के सुन्दर चित्रों को देखते है, तो न चाहते हुए भी उनके विविध चरित्र हमारे सामने आ जाते है । मनुष्य आज के जमाने के नाम पर चारित्रिक पतन के नए नए तल बनाता जा रहा है। एक तरह काम वासना की आंधी ने उसके मन को विकृत करके बेचैन और अशांत कर दिया है, तो दूसरी तरफ क्रोध और अहंकार ने विद्वानों की बुद्धि पर काला पर्दा डाल दिया है। जब चरित्र सुंदर होगा तभी चित्र(शरीर) भी सुंदर मिलेगा । अपने उच्च चरित्र के निर्माण के लिए समस्त विकारो को परमात्मा की याद रूपी दिव्य किरणों से भस्म करके अपने चरित्र के इत्र से चारो ओर अच्छे कर्मों की सुगंध प्रवाहित करे
Saturday 22 July 2017
वास्तविक सुंदरता।
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