खुद को बदलने या नया सीखने में एक किस्म का डर छिपा रहता है। दर असल , बदलने के लिए हमे कुछ छोडना पड़ता है। कुछ जोड़ना पड़ता है। कुछ सीखना भी पड़ता है। हम अपने को बदलने के लिए कितना गम्भीर है ? उसी से सारी चीजें तय हो जाती है। कुल मिलाकर , हमे ठोस कदम उठाने होते है। सो, किसी भी बदलाव के लिए हमे एक कदम तो बढ़ाना होता ही है। हमारी जिंदगी के लिए वह कदम अहम् हिट है। अब वह कदम बिलकुल ठीक होगा, यह हम कैसे कह सकते है? लेकिन
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