Tuesday 11 July 2017

आत्मज्ञान का रहस्य।


  1. जब मैं खाता हूँ, तो खाता हूँ और जब मै सोता हूँ तो सोता हूँ।यही वह एकाग्रता है जिसे सदियों से हम ध्यान कहते है। आप जो भी करे , उसमे पूरी तरह तल्लीन हो जाये।100% समर्पण । इसी सिद्धांत पर चलते हुए अर्जुन ने मछली की आँख पर निशाना साधा था। आज लोग एक वक़्त में कई काम करते है,वह भी फ़टाफ़ट। थोड़े समय में बहुत कुछ पा लेना चाहते है ।आराम से खा भी नहीं सकते है।खा रहे है और टीवी भी देख रहे हैं आसपास बैठे लोगो से बातचीत कर रहे हैं कभी कभी  फ़ोन पर भी बतिया रहे है। सोते भी है, तो संकोच और चिंताओं के साथ। पूजा प्रार्थना करते है,लेकिन ध्यान कही और है।और अंत में कहते कहते-हे ईस्वर मुझे सुख दे दे, संतोष देऔर धैर्य दे, लेकिन जरा जल्दी।

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