Saturday 8 July 2017

तनाव तो मेहमान है।

तनाव मेहमान है उसे आते जाते रहना चाहिए। जब तनाव अड़ जाता है तो हमे अंदर से सोख लेता है। अंदर ही अंदर हम टूटने लगते है। उसका असर हमे चिड़चिड़ाहट में दिखाई देने लगता है तो हम असहज नजर आते है।
जब हम असहज होते है तो ठीक से काम नहीं कर पाते है अक्सर बेहतरीन काम सहजता में ही होता है।

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