Saturday 29 July 2017

आदत से मजबूर


  • कहते है की हमारी आदतें हमारे मूल्य बनाती है और हमारे मूल्य हमारा भाग्य। इसलिए बचपन में हमे यह सीख दी जाती है की अच्छी आदतें और अच्छा संग रखो , तो जीवन सफल हो जायेगा, अन्यथा सारी जिंदगी घूमना पड़ेगा। हम सबके अंदर अच्छी व बुरी आदतें मौजूद होती है, फिर चाहे कोई अमीर हो या गरीब ,पर आदत तो सभी ने अपने अपने स्वभाव के अनुसार पाल रखी है।  आदत से मजबूर किसी व्यक्ति को अपनी आदतो से निजात पाने के लिए अपने किसी प्रियजन या फिर मनोचिकित्सक की मदद की आवश्यकता पड़ती हैं , क्योकि वह अपनी आदतो की चपेट में इस कदर फंसा होता है की उसे बिना किसी की मदद के उस दलदल से बाहर निकलना नामुमकिन सा हो जाता है। किन्तु मदद लेने की इस चेष्टा में हम यह भूल जाते है की मनोचिकित्सक भी तो आखिर हमारी ही तरह एक इन्सान है, जिनके जीवन में भी कई भावनात्मक  उंच नीच और आधातजनक प्रसंग आते है। ऐसे में जब तक कोई व्यक्ति अपने भीतर खुद की मदद करने की एक मजबूत इच्छा शक्ति जाग्रत नहीं करता तब तक कोई प्रियजन या मनोचिकित्सक उसे अपनी आसंकओ व भय से मुक्त नहीं करा सकता। इसलिए पहले खुद की मदद करना आरम्भ करे, ताकि फिर दुसरो की मदद कर सके।

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