आप लोगो के साथ क्या बात करते है, इसमे कही अधिक महत्वपूर्ण है की आप कैसे बात करते है- संबंधो में जो बातचीत होती है उसमे से केवल 8% शब्दो द्वारा होती है और 92% नि: शब्द होता है। नि:शब्द का अर्थ है- चेहरे के हावभाव( bodylanguage) हर व्यक्ति शब्दों पर ध्यान देता है, नि: शब्द पर नहीं। इसलिए कलह बढ़ती ही चली जाती है, कलह को शांति में बदलना हो, तो हमे बातचीत की कला को सीखना होगा। थोडा दूसरे का ख़याल , उसकी भाव दशा के प्रति संवेदनसीलता , उसकी मन: स्थिती के बारे में सहानभूति । किसी भी संघर्ष में 50% matter बातचीत से हल हो जाता है,यदि लोगो को उनकी बात कहने का मौका दिया जाए और उन्हें दिल से सुना जाये। दूसरा जब बोल रहा हो तो उसे बीच में टोकना नहीं, उसका मूल्यांकन नहीं करना और भीतर ही भीतर असहमत नहीं होना। यानि आप दिल खोलकर दूसरे व्यक्ति को अपने भीतर प्रवेश करने की इज़ाज़त दे रहे है। दो दिलो के बीच कभी संघर्ष नहीं होता है। हा दो दिमागों के बीच अवश्य होता है।
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