अगर आप खुद से प्रेम करे तो दूसरे भी आपसे प्रेम करने लगेंगे। उन लोगो को कोई प्रेम नहीं करता है जो खुद को नहीं चाहते है। अगर आप खुद को ही प्रेम नहीं कर सकते है, तो कौन दूसरा मुसीबत मोल लेना चाहेगा? कुछ चीजे है जो अनुबव से ही जानी जाती है । उसे जानने का कोई और रास्ता नहीं होता है इसे प्रयास और गलतियों से ही सीखा जाता है प्रेमी बनने का यह मतलब नहीं की तुम एक-दूसरे के मालिक हो गए ,तुम केवल साथी दोस्त हो। जब आप किसी में अपने प्रेम का निवेश करते हो तो आप घृणा का भी निवेश करते हो क्योकि घृणा और प्रेम एक सिक्के के दो पहलु है। प्रेमी लड़ते ही है वे अन्तरंग शत्रु होते है और जब दो प्रेमियो के बीच में लड़ाई समाप्त हो जाती है तो प्रेम भी ख़त्म हो जाता है। प्रेम का जनम होता है स्वतन्त्रता की भूमि में जहा कोई बंधन नहीं,जहा को जबरजस्ती नहीं है जहा कोई कानून नहीं है। प्रेम करना और प्रेम चाहना यह बड़ी अलग बातें है जो प्रेम चाहता है वह दुःख झेलता है। सम्बन्ध तभी बनाओ जब तुम किसी के प्रेम में हो। प्रेम एक उच्चतर स्थिति है।
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