Tuesday 1 August 2017

बिना शर्त ख़ुशी।

सफलता की ख़ुशी ,साहस से कुछ हासिल करने की खुशी , परोपकार करने की ख़ुशी ,और सबके प्रति विनम्रता से जो ख़ुशी मिलती है इन सब खुशियो को हम भूल गए है। हम अपने अपने अंदर मौजूद ख़ुशी को ढूढ़ने के लिए ज्योतिषियो ,तान्त्रिकों और मांत्रिको के दरवाजे खटखटाने में लगे हुए है। ख़ुशी की हमारी यह खोज उनका कारोबार बढ़ा रही है। जो व्यक्ति आनंदित और तनावमुक्त रहेगा ,वह उतनी ही जल्दी मनचाही चीजो को प्राप्त कर लेगा। बात बात में हताश निराश होने वाले लोग जीवन में बहुत पीछे छूटते चले जाते है। आनंद के समय में आपकी जीवन ऊर्जा काम केंद्र से ऊपर मस्तिष्क की ओर प्रवाहित होने लगती है। जबकि निराश के moment में मूलाधार की ओर जाने लगती है। यानि जो कुछ शाक्ति हैं आपकी वह विसर्जित होकर शरीर से बाहर चली जाती है। जिसने  भी शर्त लगाई है,वह शर्तो के चंगुल में फंसकर रह गया है। खुश रहना हमारी आदत में शामिल होना चाहिए था,जबकि उसकी जगह हताशा निराशा आकर बैठ गई है। खुश रहना सन्देह का कारण बनता जा रहा है। यह नजर्ये

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