अक्सर बुजुर्ग कहते है की पैसे से चीजे खरीदी जा सकती है, ख़ुशी नहीं,आप इस बात से सहमत होते हुए भी इसे पूरी तरह स्वीकार नहीं कर पाते है। वास्तव में ,ख़ुशी आपके मन की अवस्था है, जिसमे आप पूर्ण होने का अनुभव करते है। 3-डी यानी desire-इच्छा dicision-निर्णय do-काम में ही ख़ुशी मिलती है । आप इस फ़िक्र में मत रहिये की कौन क्या करता है या सोचना है खुद तय करे की आपका मन क्या करना या पाना चाहता है फिर निर्णय लीजिए और अपनी मंजिल की ओर कदम बढ़ाइये ।खुशियां ढूढ़ने से नहीं मिलती , खुद को पा लेने के एहसास से मिलती है। दरअसल, खुद की तलाश यानि अपनी शख्सियत को आकलन कर पाना मुश्किल काम है। यह एक ऐसा एहसास है, जो आपकों यह बताता है की आप अपनी प्राथमिकता , इच्छा, आकांक्षा के अनुरूप काम करे, इसकी बजाय दुसरो के जीवन में ताक झांक करे या दूसरो की नक़ल करे। जब आप अपना विश्लेषण करते है और किसी निर्णय पर पहुच जाते है तब आप आत्मसंतुस्ट और आत्मशांति के परिवेश में निवास करने लगते है। आपको एहसास होगा की रुपए गिनने वाला बैंकर की बजाय फूल पौधे सीचने वाला माली जयादा खुश नजर आता हैं।
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