Saturday 15 July 2017

पश्च-विपश्च

दोनों एक दूसरे की न केवल कमिया खोजते है, बल्कि एक दूसरे पर प्रहार भी करते है। जब भी हम संकट में पड़ते है , तो घबराकर हल ढूढ़ने की बजाय किसी और के दरवाज़े पे दस्तक देने लगते है। विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला करना, उन पर आधी विजय हासिल करने जैसा है। जो खुद को साध लेता है वह हर प्रश्न का उत्तर खुद से ही पूछ लेता है । लेकिन इसके लिए स्वयं पर भरोसा

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