Tuesday 1 August 2017

तो बह चलो न।

दरअसल, इच्छशक्ति से हम जब कोई काम करते है, तो ऐसा लगता है मानो हम किसी उलट दिशा में बह रहे है, हमारा मन कुछ चाह रहा होता है और हम कर कुछ और रहे होते है। हमारा दिमाग कहता है की हमे यह करना है। और हमारा दिल उसके लिए तैयार नहीं होता है। फिर हमे लगता है की काम जरूरी है। उसे किसी हाल में करना है तब हमे इच्छशक्ति की जरुरत होती है। जब हम किसी काम को करने के लिए प्रेरित होते है,तो सब बदल जाता है। प्रेरणा हमे भीतर से जोश देती है,वह हमारे अंदर एक चिंगारी सुलगा देती है। तब हमारा दिल पूरी तरह हमारे साथ होता है उसी प्रेरणा की वजह से दिल और दिमाग एक हो जाते है। हम तब जो भी काम करते है,वह अपने आप बहाव में आ जाता है। और हम जानते है की जो काम हम बह कर करते है,वह कितनी तेज़ी से होता है।

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