Wednesday 9 August 2017

जीवन-पद्धति

किसी भी कार्य की सफलता में सबसे पहले सम्बंधित कार्य की रूप-रेखा बनाई जाती है। उसमे कार्य की प्रकृति , उसमे लगने वाला समय , धन, सामर्थ्य का आकलन शामिल होता है। इससे कार्य में सफलता की सुनिश्चितता बढ़ जाती है। अक्सर देखने में आता है की सड़क पुल ,सिंचाई परियोजना आदि के निर्माण में पहले हर पहलुओं का विस्तृत आकलन किया जाता है , जिसे प्रोजेक्ट रिपोर्ट कहते है । प्रोजेक्ट रिपोर्ट के गहन अध्य्यन के बाद उस पर कार्य शुरू होता है, लेकिन प्राय: लोग निजी जीवन में कोई कार्य किसी ठोस योजना के बगैर शुरू कर देते है और असफल होने पर खुद निराश तो होते ही है, साथ ही भाग्य और भगवान्  को दोष देते है। प्रयास करने से भी कोई कार्य नहीं पूर्ण हो पाता या सफलता नहीं मिलती तो कही न कही स्वयं का दोष है   योजनाबद्ध कार्य का example मर्यादा पुरुषोत्तम राम द्वारा कदम कदम पर प्रस्तुत किया गया । लंका पर आक्रमण के पहले वहा की सारी स्थिति का अध्य्यन करने के लिए श्री राम हनुमान जी को लंका भेजते है। लंका के भौगौलिक, सामाजिक ,सामरिक आदि  क्षमता का आकलन कर हनुमान जी विस्तृत जानकारी श्री राम को देते है और जब श्री राम खुद लंका जाने की बात आती है और बीच में समुद्र पर मार्ग बनाने का question उठता है तब उनके अनुज लक्षमण जी तत्काल ही उस कार्य को अंजाम देना चाहते है और पुल बनाने का उद्यम करने लगते है, लेकिन श्री राम ने उन्हें किसी तरह की जल्दबाजी से रोक दिया। स्वयं श्री राम समुद्र तट के किनारे तीन दिनों तक बैठे रहे । इन तीन दिनों में श्री राम का समुद्र पर पुल बनाने की कार्ययोजना को अंजाम देना मुख्य target था ।किसी कार्य के शुरू करने में जब व्यक्ति एकाग्र मन से किसी कार्य का चिंतन करता है तो चिंतन में ही अनेक रास्ते निकलते है। जितने भी वैज्ञानिक आविष्कार हुए सब में वैज्ञानिक ने पहले गहरा चिंतन किया , उसके बाद प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की। ऐसा माना जाता है की ठंडे मन से किसी subject पर सोचने से सरल उपाय निकल आते है। जबकि प्राय: व्यक्ति जल्दबाज़ी और शॉर्टकट रास्ता तलाशता है। इसी तरह अध्यात्म के field में भी गहरे चिंतन मनन को importance दिया गया है। 

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