Thursday 10 August 2017

मुस्कान का प्रभाव

संस्था की वार्षिक बैठक थी। किसी में target पूरा करने की ख़ुशी थी, तो किसी में कार्य पूरा न करने की उदासी । खचाखच भरे हाल में जैसे ही उस व्यक्ति का प्रवेश हुआ, कई जोड़ी आँखे उसकी ओर उठ गई। परिचित अपरिचित सभी के साथ मृदुल मुस्कान लिए बड़ी आत्मीयता और आत्मविश्वास के साथ वह मिल रहा था। यह तो बाद में पता चला की वह अपने target तक पहुचने में नाकाम रहा है। मुस्कुराहट में बड़ी शक्ति होती है । मुस्कराने की क्षमता वही रखता है , जिसकी सोच सकारात्मक होती है और संघर्षो को पार करने की काबिलियत रखता है। हमारे व्यक्त्तिव का सबसे अच्छा आभूषण हमारी मुस्कुराहट है। दिल जीतने से लेकर जंग जीतने तक में यह कारगर है। कहा गया है, जैसी हमारी सोच होगी , वैसा ही व्यवहार परिलक्षित होगा। असफल होने का डर या विफलता के बाद की निराशा से उबर कर सहज हो जाना आसान नहीं तो असंभव भी नहीं । सकारात्मक विचार हमे एक दूसरे के करीब लाता है और कई लोग सही दिशा निर्देश भी देते है , जिन्हें अपनाकर हम target पा सकते है। चेहरे की मुस्कराहट के साथ व्यवहार में गर्मजोशी हो, तो ऐसी मुलाकात अविस्मरणीय बन जाती है। सकारत्मक सोच हमे लोकहित के लिए प्रेरित करती है। अगर हम अच्छे है तो हमे दूसरों की अच्छाई भी दिखेगी , भले ही सामने वाले में असंख्य बुराइया हो। विचारों में चाहे विरोधाभास हो या आस्था में चाहे विभिन्नताये , पर अपनी पसंद के आधार पर दुसरो की आलोचना नहीं करनी चाहिए । अपना ढंग किसी को बुरा न लगे और किसी के मार्ग का अवरोध न बने। मनोविकार से बचने के लिए सृजनात्मक और सकारात्मक सोच अपनानी होगी। जरुरी है दुःख को  क्षण भर मानकर मुस्कराते हुए उसका सामना करे , सुख खुद ब खुद  दरवाजे पर दस्तक देगा।

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