Monday 7 August 2017

तन और मन की सेहत


हमारा तन और मन यह दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए है। मन का एक छोटा सा विचार भी बॉडी पर अपनी reaction छोड़ जाता है। जब मन में क्रोध आता है, तो उसका तत्काल प्रभाव शरीर पर पड़ता है। जब मन में करुणा जागती है तब भी उसका असर दिखाई देता है। मन जिस स्थिती में होता है, मस्तिष्क द्वारा हार्मोन का स्त्राव भी उसी के अनुरूप होता है। जब हमारा मन ठीक नहीं होता है तब हम नकारात्मक भावनाओ से बुरी तरह घिर जाते है। जिसका सीधा असर फिर हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। हम खुद को इतनी अच्छी तरह से जान ले की हमे अपने भीतर क्या है उसका सहज अहसास हो। अपने भीतर के अच्छे तत्वों को जानने से हमारे विचारों और भावनाओं की गुणवत्ता में गहरा परिवर्तन आता है। जो चुनौतियों के सामने हमे शान्त और प्रेम से रहने के लिए सक्षम बनाता है। इस प्रक्रिया को सरल बनाने में आध्यत्मिकता एक बड़ी भूमिका निभा सकती है। आद्यात्मिकता हमारे भीतर की दुनिया को जानने और उसमे उत्पन्न होने वाली अनेकानेक समस्याओं से निपटने की अद्वितीय कला है। मैं कौन और मेरा क्या , इस सार को समझाने वाला ज्ञान है अध्यात्म । इसमें हमे इस गहरे तथ्य की समझ प्राप्त होती है। की अपने विचारों और भावनाओं के लिए जिम्मेदार हम स्वयं न की और कोई । जिसने अपने आपको पहचान लिया ,वही परमात्मा को पा सकता है। जीवन तभी सफल है जब आप वही करते है जिसे करने में आपको आनंद मिले। 

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