काम करते करते हमे ही पता नहीं चलता की हमारी खूबी क्या है? हम अपनी ताकत का अंदाज नहीं लगा पाते । ख़ामियों पर तो बाहर से खासा हमला हिट है। इसलिए उनका अंदाजा तो हमे आसानी से हो जाता है। लेकिन.....खूबियां हमारे भीतर होती है हम उनके साथ काम करते रहते है। हमारी जो खूबियां होती है वही हमारी ताकत होती है।एक मायने में वही हमारी क्षमता भी होती है और सम्भावना भी। जब हम अपनी खूबियों के बारे में जानते समझते है,तभी हम अपना बेहतरीन दे पाते है। होता यह है की हमे अपनी खूबियां साधारण सी लगती है।लेकिन वह होती असाधारण है। अगर यह समझ में आ जाये तो हमारी जिंदगी बदल जाती है। हम अपनी खूबियों को साधारण समझकर काम करते रहते है और साधारण घेरे में ही बने रहते है। हमे जब महसूस होता हो जाता है की खुबिया साधारण नहीं है तोह हम उस घेरे को तोड़ने में जुट जाते है। एक दिन वह घेरा टूट भी जाता है। और हम कुछ अलग काम कर पाते है। अपनी संभावनाओ को एक अलग आयाम दे देते है।
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