दरअसल संवेदनशीलता हमारी कमज़ोरियों पर भारी पड़ती है। आप जब दुसरो को समस्याओं से घिरा देख नहीं पाते और उनकी मदद का हाथ बढ़ाते है तो अपने अस्तित्व को सार्थक कर रहे होते है। रंग बिरंगी चीजो के पीछे भागते हम केवल अपने लिए जीने लगते है । इतने स्वार्थी हो जाते है की खुद की परेशानी सबसे बड़ी लगने लगती है और दुसरो का जीवन हमारे लिए मायने नहीं रखता। हम
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हमे हर दिन चिंतन करने की आदत डालनी चाहिए । अच्छी बातो को सुनने समझने गुनने से मानसिक शारीरिक आद्यात्मिक शक्ति बढ़ती है। मन मस्तिष्क मजबूत ब...
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