Monday 7 August 2017

उनींदी हालत में हौसला

बॉस अपने केबिन में उनींदे थे। सब यही सोच रहे थे यह बढ़ते तापमान का असर है। आधे घंटे बाद ही उन्होंने एक बैठक बुलाई और उस मुद्दे पर फैसला लिया जिस पर दो सप्ताह से अधिक टालमटोल की स्थिती बनी हुई थी। उनींदीपन में तय की गई बात बेहतर रिजल्ट देती है। इसे समझना टेढ़ी खीर था। समझ में तब आया जब उन्होंने लंबे समय तक अवचेतन मन पर कार्य करने के बाद पाया की उसे प्रभावित करने का सबसे अच्छा तरीका है उनीदीं अवस्था में जाना। फिर चिंतन करना और निष्कर्ष बनाना। उनीदीं अवस्था का मतलब है  वहाँ जाना जहाँ आपके प्रयास न्यूनतम हो जाये। उनीदीं अवस्था में आपके प्रयास न्यूनतम हो जाते है।  दरअसल अवचेतन मन सबसे अधिक शक्तिशाली तब होता है जब हम सोने के ठीक पहले या जागने के ठीक बाद की अवस्था में होते है। यह अवस्था जब आती है उस समय अवचेतन मन तक आपकी इच्छा को पहुचने से रोकने वाले सारे नकारत्मक विचार ख़त्म हो जाते है। कोई बाधा नहीं होती । आप महज एक बार ही उनीदींपन में आकर यह लाभ नहीं उठा सकते ।इसे भी दुहराना होता है। फैसला लेने की क्षमता आने से लेकर किसी के फलित होने तक हो सकता है। की आपको बार बार यह तकनीक प्रयोग में लानी पड़ेगी। जब भी नकारत्मक आदत या सोच जोर मारे यह तकनीक आज़मा ले। हो सकता है हम इसके रिजल्ट को लेकर सकारत्मक विचार न रखते हो।

No comments:

Post a Comment