Wednesday 2 August 2017

दोषी ठहरा देना।

दरअसल गुस्सा आते ही हम सामने वाले को दोषी मानने लगते हैं यही से गुस्सा जिद पकड़ लेता है। अगर हम सहज सामान्य है, तो गुस्सा आएगा ही । लेकिन लंबे समय तक गुस्से का बने रहना ठीक नहीं है  अगर कोई चीज आपके मन मुताबिक नहीं होगी। अगर कही कुछ गलत होगा, तो गुस्सा आएगा ही। लेकिन उससे चिपके रहना अपने ऊपर बोझ लाद लेना है। जिंदगी का सीधा सादा फंडा यही है की हमे किसी बोझ के साथ नहीं जीना चाहिए । ऐसा नहीं है की हम पर कोई बोझ आएगा ही नहीं । लेकिन हमे उस बोझ को जल्द से जल्द उतार देना है। हम पर बोझ आता है, तो हम क्या करते है?  कोशिश करते है की उससे जल्द ही छुटकारा मिल जाये । उसी तरह से हमे गुस्से के बोझ को भी समझना है।

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