Monday 18 September 2017

विचारो की शक्ति और ज्ञानदीप


  • विचारों से ही कर्म करने की प्रेरणा मिलती है और कर्म से विचार पनपते है। शुभ और दिव्य विचार विधाता के विशिष्ट वरदान है । सच कहा जाये तो विचार व्यक्ति की आत्मा है । आत्मा एक शरीर तक सीमित नहीं है इसलिए विचार भी अपने में सबको और सभी में अपने को समेटे हुए है । विचार शुद्ध है । विचार हताशा की दवा है सुविचार वरदान स्वरुप होते है । विचार के साथ जब विश्वास का समायोजन होता है तब मानो ह्रदय और आत्मा का समायोजन होता है । सदविचार और विश्वास से सब कुछ संभव है । विश्वास से विश्व है विश्वास से ही ब्रम्हाण्ड है । इससे ही सागर बून्द बन जाती है । अंश पूर्ण हो जाता है और अकेलेपन का अन्त हो जाता है । विचार सजीव और सूक्षम होते है  कर्म इनकी देन है । विचार अपरिजेय जीवनी शक्ति है । हमे अपने प्रति ईमानदार होना होगा ताकि मेहनत पर विश्वास हो । आवश्यक नहीं की किये हुए काम पर सफलता मिलने पर ही खुशी मनाई जाये । असफलता पर भी निराश नहीं होना है । उसे हटाने के लिए संकल्पबद्ध होना होगा। अपनी हिम्मत और लगन के प्रति आस्था पैदा करनी होगी। विचारो में बड़ा जादू है यह हमे गिरा भी सकते है और उठा भी सकते है । आत्म विश्वास को मजबूत करते हुए है मानव का target होना चाहिए  ।

सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए मनुष्य को कार्य को पूर्ण आत्मविश्वास के साथ करना चाहिए।
ज्ञानदीप-भीतर के ज्ञानदीप को जलाकर मीरा ने सत्य का दीदार किया था 

  • सकारात्मक सोच भीतर के ज्ञानदीप को जलाकर मन में वासना की काली बदली को दूर करो। जैसे सुर्यास्त कभी नहीं होता वैसे ज्ञानदीप कभी नहीं बुझता इसलिए अपना दीपक स्वयं बनो और भव बंधन से मुक्त हो जाओ। अज्ञान का पर्दा उठाइये ,ज्ञान का सूर्य चमकने लगेगा।

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