Thursday 28 September 2017

प्यार की पहचान-2


  • प्यार एक अलग संसार है जिसमे डूब जाने का मन करता है। 
  • प्यार करने वाले के लिए यह संसार बहुत अच्छा और प्यारा लगता है।
  • प्यार हो जाने से कोई भी चीज पाने की इच्छा नहीं रहती है।
  • प्यार को कोई सामान्य प्राणी नहीं समझ सकता है।
  • प्यार को पाने के लिए मेहनत परिश्रम की आवश्कता नहीं होती है प्यार तो स्वयं हो जाता है।
  • किसी को इस बात का पता नहीं हो पाता की प्यार कब कैसे क्यों और किससे हो जाता है।
  • प्यार का एहसास मिलने से नहीं बिछड़ने से होता है। 
  • प्यार वह एहसास जो न ही मीठा और न ही कडुवा होता है। इस एहसास को शब्दों में नहीं कहा जा सकता है।  इस एहसास में यह नहीं कहा जा सकता है की प्यार सुख है या दुःख है।  प्यार कने वालो के लिए सुख और दुःख एक समान प्रतीत होते है। इस एहसास में न तो जीने का मन करता है और न ही मरने का मन करता है। 
  • प्यार के एहसास में ईस्वर की वास्तविकता का ज्ञान होता है। 
  • मेरे अनुसार-प्यार ही जीवन है पर इस संसार में प्यार का अपमान सदियो से होता चला आ रहा है । इस संसार में सच्चा प्यार करने वालो को न कोई समझ पाया है और न कोई समझ पायेगा। 
  • मेरे अनुसार प्यार को कभी भी पाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए यदि ईस्वर पर विश्वास है तो प्यार स्वयं मिल जाता है। 
  • मेरे अनुसार प्यार की तड़प केवल प्यार करने वालो को ही मालूम होती है। 
  • मेरे अ

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